जीएसटी बिल क्या है और कैसे आम आदमी के लिए मददगार है

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लंबी बहस के बाद लोकसभा में केंद्र सरकार ने जीएसटी बिल पारित कराने में सफलता हासिल की। हलांकि विरोधी दलों का आरोप है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बिल पारित कराने के लिए राज्य सभा को दरकिनार कर दिया। वहीं सरकार अब जीएसटी को जुलाई में लागू कर देना चाहती है। आइए, जानते हैं किजीएसटी बिल है क्या?

अन्य बिल और जीएसटी बिल में क्या है अंतर

जीएसटी (GST) बिल यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स। इस बिल के तहत वह कर आते हैं जिन्हें जनता से सीधे तौर पर तो वसूल नहीं किया जाता है, लेकिन आखिरकार यह टैक्स अपरोक्ष रुप से जनता की ही जेब से जाता है। माना जा रहा है कि आजादी के बाद यह सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म है।

किन कमोडिटीज पर पड़ेगा असर

जीएसटी (GST) लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, एडीशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंडी एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स खत्म हो जाएंगे।

राज्यों के टैक्स खत्म हो जायेंगे

इस कानून के आने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन टैक्स वसूले जाएंगे पहला सीजीएसटी जोकि केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाएगा। दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जिसे राज्य सरकार वसूलेगी, यह टैक्स राज्य के भीतर होने वाले कारोबारियों से वसूला जाएगा। लेकिन अगर दो राज्यों के भीतर कारोबार होता है तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इस टैक्स को केंद्र सरकार वसूलेगी लेकिन उसे दोनों राज्यों के बीच समान रूप से बांटा जाएगा।

पूरे देश में उत्पादों के एक दाम होंगे

इस कानून के पास होने के बाद एक ही चीज का दाम हर राज्य में अलग-अलग नहीं होगा बल्कि एक ही दाम पर बिकेगा। ऐसे में कई चीजों की कीमतों में कमी आयेगी और हर चीज का दाम पूरे देश में एक ही होगा। मौजूदा बिल में शराब और पेट्रोल-डीजल को अलग रखा गया है जिसके चलते इसके दाम अलग-अलग राज्यों में अलग होगा।

केंद्र सरकार करेगी मदद

आपको बता दें कि इस कानून के लागू होने के बाद जो नुकसान राज्यों को होगा उसका वहन 3 साल तक केंद्र सरकार करेगी। लेकिन चौथे साल के बाद 75 फीसदी और पांचवे साल 50 फीसदी नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी।

जीडीपी में होगा सुधार

इस कानून के पास होने से देश की जीडीपी में तकरीबन 2 फीसदी का उछाल आने का अनुमान है। इसकी अहम वजह है कि टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी। साथ ही हर स्तर पर टैक्स वसूली में होने वाली चोरी में कमी आयेगी और कारोबारियों में टैक्स देने की रूचि बढ़ेगी। इस कानून के लागू होने से भारत में 20 अलग-अलग टैक्स से मुक्ति मिल जाएगी।


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