GST: Fear and Confusion Among Business people

जीएसटी (GST) को लेकर दुकानदारों में डर और भ्रम का माहौल है। कुछ दुकानदारों ने कहा कि जीएसटी (GST) की बढ़ी दरों से स्मगलिंग बढ़ेगी। लोग टैक्स की चोरी करते हुए दो नंबर से माल बेचेंगे। कुछ का कहना है कि सरकार को जीएसटी की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए। रिटर्न भरने में छोटे दुकानदार को दिक्कत आएगी।

एक साल में 37 रिटर्न कैसे:

नेहरू प्लेस मार्केट के दुकानदारों का कहना है कि उन्हें जीएसटी (GST) की बढ़ी हुई दरों से कहीं अधिक समस्या इसका लेखा-जोखा रखने से है। इसमें भी खासतौर से सालभर में 37 रिटर्न दाखिल करने से। ऐसे में दुकानदार अपना धंधा कहां से करेगा। वह तो बस जीएसटी (GST) की लिखत-पढ़त में ही लगा रहेगा। ऑल इंडिया कंप्यूटर ट्रेडर्स असोसिएशन, नेहरू प्लेस के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि उनकी इस मसले को लेकर लगभग हर रोज दुकानदारों से बैठकें हो रही हैं। इसमें एक साल में 37 रिटर्न भरने की समस्या के अलावा मौजूदा समय में कंप्यूटर और इनके पार्ट्स पर लगने वाले पांच फीसदी टैक्स को 18 और 28 फीसदी स्लैब में ला देना भी है। इससे कंप्यूटर आइटम्स महंगी हो जाएंगी।


कन्फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स असोसिएशन के चेयरमैन ब्रिज मोहन विज और जनरल सेक्रेटरी देवराज बवेजा का कहना है कि जीएसटी की बढ़ी दरों को लेकर वे परेशान नहीं हैं। मगर, इसकी प्रक्रिया जटिल है। सरकार को इसे मेंटन करने के तरीकों को आसान बनाना चाहिए। छोटे से छोटा दुकानदार इसे अपने स्तर पर आसानी से हैंडल कर सके। अभी बड़े दुकानदार तो अकाउंटेंट और सीए की सेवाएं लेकर जीएसटी की उलझनें सुलझा लेंगे, लेकिन उन छोटे दुकानदारों का क्या होगा जो सदर बाजार के गली-कूचों में बैठे हैं। उन्होंने बताया कि पहले यहां बिकने वाली अधिकतर आइटम्स पर 12.5 फीसदी वैट लगता था, जो अब बढ़कर 18 और 28 फीसदी हो जाएगा।

पुराने स्टॉक का क्या होगा:

दुकानदारों का पुराना स्टॉक पड़ा है। उस पर कितना जीएसटी (GST) लगेगा और कैसे लगेगा। यह बात अभी साफ नहीं हुई है। दूसरे, टूवीलर पार्ट्स पर 12.5 फीसदी टैक्स को बढ़ाकर 28 प्रतिशत वाले स्लैब में ला दिया गया है। इससे लो इनकम ग्रुप पर मार पड़ेगी। करोलबाग नाईवाला की दिल्ली स्कूटर ट्रेडर्स असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी दीपक सचदेवा और पूर्व सीनियर वाइज प्रेजिडेंट हरी प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि कभी साइकल को इस कैटिगरी वालों का वीकल माना जाता था। अब सामान्य टू वीलर इस कैटिगरी में आ गया है। ऐसे में सरकार को इन आइटम्स पर टैक्स और कम करना चाहिए था।

जानकारी की कमी

देहली हिंदुस्तानी मर्कन्टाइल असोसिएशन के चेयरमैन सुभाष गोयल और पूर्व प्रधान सुरेश बिंदल का कहना है कि व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी (GST) को लेकर संदेह की स्थिति है। किसी को कुछ पता ही नहीं है कि साल में कितनी रिटर्न भरनी होंगी। जीएसटी का हिसाब-किताब कैसे रखा जाएगा। अगर कुछ कमी रह गई तो कहीं जेल तो नहीं हो जाएगी। सरकार को बड़े स्तर पर व्यापारियों में जागरूकता लानी होगी।

होगा सात फीसदी का घाटा

मेडिकल स्टोर वालों के पास अगर दवाइयों का पुराना स्टॉक पड़ा है उन्हें बेचने में 7 फीसदी का घाटा होगा। पहले दवाइयों पर पांच फीसदी वैट लगता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है। ऐसे में पुराना माल बेचने पर ग्राहकों से पांच फीसदी ही वैट लेना पड़ेगा लेकिन सरकार को 12 फीसदी जीएसटी जमा करना होगा। यह कहना है ऑल इंडिया केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्यूटर्स असोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता का। इनका कहना है कि दवाइयों को तो सस्ता करना चाहिए लेकिन सरकार ने इन पर टैक्स बढ़ा दिया है। इससे कालाबाजारी को भी बढ़ावा मिल सकता है।

मैन्युफैक्चरिंग पर ही लगे जीएसटी (GST)

चैंबर ऑफ ट्रेड इंडस्ट्री के कन्वीनर और कश्मीरी गेट एरिया में ऑटो पार्ट्स का कारोबार करने वाले बृजेश गोयल का कहना है कि सरकार एक बार जीएसटी (GST) ले और वह भी किसी भी आइटम की मैन्युफैक्चिरंग के वक्त। ऐसे में बाजारों में कालाबाजारी भी रुकेगी और सरकार को टैक्स भी अच्छे से मिलेगा।


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